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Showing posts from January, 2014

`MERCURIAL' MEHBOOBA

जी तो करता है की तुम्हें लपक के चूम लूं मदहोशी के खुमार में कुछ पल तो झूम लूं पर डरता हूँ, नहीं, नहीं, थप्पड़ से नहीं, प्यार से भी नहीं, Anti-Rape Law के नए प्रावधानों से भी नहीं, न ही तेजपाल के हश्र से जो चीज़ मुझे तुम्हें चूमने से रोकती है, पल पल मुझे टोकती है, वो है पंगु हो के मरने का डर, तुम्हारी चमकती-दमकती मरमरी त्वचा में बहता बस ज़हर, में हूँ डरता न प्यार से, न उसके इज़हार से, पर नहीं मुझे शौक निगलने का Mercury, अस्पताल में शरीर से Chromium भगाने के लिए लेटे रह कर, नहीं करानी अपनी किरकिरी, छोटी छोटी रंगीन शीशियों और ट्यूबों से निकाल, अपने चेहरे और गर्दन पे जो विष रोज़ मलती हो तुम, सांवले होने की ग्लानि में कैसे गलती हो तुम   मुबारक हो तुम्हें तुम्हारा गोरापन, अपनी त्वचा के कुदरती रंग पे जब आये शर्म, जाने कैसा है ये छिछोरापन, अपने रंग पे जिसका ह्रदय महसूस करे हीन, गोरा दिखने की चाहत में जो हो अन्दर से ग़मगीन, उस से भला कैसा रिश्ता बनेगा प्यार का महीन, कुर्बान होने को तैयार हूँ प्यार के लिए नहीं ज़हर से पुती दीवार के लिए. `Fair Skin' Freakness

सठियाया गणतंत्र

सडसठ पार कर चुका हूँ, सठियाये हुए सात साल गुज़र चुके हैं, इन सडसठ सालों में हर दिन यही सुनता रहा, कोई रथ मेरे घर के पास  से गुजरेगा, जिसमे बैठा कोई विकास पुरुष, मेरे और मुझ जैसे औरों की ज़िन्दगी में ख़ुशी के रंग भर देगा I रथ तो कई आये-गए, पर ख़ुशी कभी नीचे नहीं उतरी, हाँ, लोग कहते हैं की विकास हुआ है, लम्बी-चौड़ी सड़कें बनी हैं, सड़कें, जो जहाँ जाती हैं, वहां की सम्पदा लेकर दूर कहीं चली जाती हैं, फिर, उस सम्पदा की तलाश में वहां के लोग उन्ही सड़कों के रास्ते,   घर से बहुत दूर चले जाते हैं, एक बार जो गए, तो शायद ही कभी लौटे, जो लौटे वो परदेसी बन के लौटे I कहते हैं, विकास हुआ है, फसल उगलने वाली ज़मीन पर अब चारदीवारीयाँ खिंच गयी हैं, जिस ज़मीन से फूटती थीं कोंपलें, उसमे से आजकल रातों रात खम्बे उग आते हैं, खम्बे जिनपर काली चादर बिछाकर गाड़ियां, छकड़े और रेलें दौड़ती हैं, वो गाड़ियां जो मुझे और मेरे जैसे को अपने देस से बाहर ले जाती हैं, वही गाड़ियाँ जो सात समुन्दर पार से आया, टमाटर, प्याज, धान और गेहूं मंडी तक पहुंचाती हैं I जिस ज़मीन पे टिके रहते थे स

Man Grows Balls at Age 60; Is named Aar Kay Singh by Hospital Ward Boy

An Indian male is reported to have grown balls at the age of sixty years. He has been promptly named Aar Kay Singh (pronounced as AadKe Singh in Bihar from where this incident is being reported) by the hospital staff. Doctors are calling it a miracle but are denying that this is a fit case for Guinness Book of World Records. When questioned by the world media, Dr. Surgeon Singh said that this sort of things are a routine in a tribe called Indian Civil Servants and many before this RK Singh discovered their manhood (Mardanagi) post retirement. He said that many of his patients not only grew balls after retirement, but some also developed a Spine while others saw their Guts growing. Explaining this phenomenon, Dr. Analytical Pande, a renowned social scientist & political commentator said that the symptoms of this disorder can be seen across Indian bureaucracy. Most officers seldom open their mouth in front of their political & corporate masters and blindly